आचार्य श्रीनानेश उच्च माध्यमिक विद्यालय
गुरूदेव
नानेश की जन्म स्थली दांता ग्राम में पोषित व पल्लवित
आचार्य श्री नानेश उच्च माध्यमिक
विद्यालय अपनी सुरभि राजस्थान व
देश के अन्य प्रान्तों में बिखेर रहा है।
1992 से आज तक का सफर गौरवमय रहा है। विद्यालय में नित नये आयाम जुङते जा रहे है। शिक्षा की दृष्टि से भी उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने वाला जिले का एक माञ आवासीय उ.मा. विद्यालय है। ग्रामीण परिवेश व अंचल में होते हुये भी विद्यालय को जिले की अग्रिम पंक्ति में खडा होने का सौभाग्य प्राप्त है। जिस नन्हें वट वृक्ष अंचल में होते हुये भी विद्यालय को जिले की अग्रिम पंक्ति में खडा होने का सौभाग्य प्राप्त है। जिस नन्हे वट वृक्ष को ट्रस्टीगणों के सहयोग व सम्बल से लगाया था यह आज विशाल वट वृक्ष के रूप में समर्पित है व अपनी शीतल छाया से सबकों आनन्दित कर रहा है।
विद्यालय को प्रतिवर्ष उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने के कारण उपनिदेशक शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार द्वारा प्रशंसा पञ प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। इस उंचाई तक पहुँचने में श्रीमान ट्रस्टीगणों एवं दान दाताओं का समय - समय पर मार्गदर्शन एवं सम्बल बराबर प्राप्त होता रहा है। छाञों के परिश्रम, शिक्षकों के श्रेष्ठ अध्यापन व अभिभावकों के अटूट विश्वास ने विद्यालय को क्षेञ मिटाने का संकल्प किया है।
छाञों के शारीरिक, शैक्षिक, मानसिक, चारिञिक एवं आध्यात्मिक विकास हेतु उचित शिक्षा प्रदान करना।
व्यवसायिक शिक्षा द्वारा छाञों को आत्म निर्भर बनाने का सतत् प्रयास करना।
सुसंस्कृत, कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार नागरिक तैयार करना।
सत्य, अंहिसा, प्रेम, समता एवं ''जीओं और जीने दो'' के शाश्वत सिद्धान्तों के प्रति आस्थावन बनाना।
शिक्षण योजना : बच्चों कें सर्वागीण विकास हेतु नानेश शिक्षण संस्थान की योजना अनुसार पंचमुखी शिक्षा (शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक एवं व्यावसायिक) तथा उत्तम शिक्षण हेतु पंचपदी शिक्षण पद्घती (आदिति, बोध, अभ्यास, प्रसार एवं प्रवचन) की व्यवस्था की गई है।
योग शिक्षा :- चित प्रवतियों का नियोग ही योग है। ''भारतीय जीवन में योग शिक्षा का महत्तवपूर्ण स्थान है जिसमे आसन, ध्यान, साधना, प्राणायाम व संयम आदि का समावेश किया गया है। प्रतिदिन प्रातः काल 48 मीनट सुयोग्य प्रशिक्षक के सानिध्य में सभी को योग करना अनिवार्य है।
दृश्य एवं श्रव्य सामग्री : शिक्षण कार्य में इनका अपना महत्व है। यहां रंगीन टी.वी., वी.सी.आर., टेपरिकार्डर आदि की व्यवस्था है।
वार्षिक समारोह : प्रतिवर्ष विद्यालय में बडे पैमाने पर वार्षिक समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें छाञों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुन्दर प्रस्तुति मार्चपास्ट, पी.टी. प्रदर्शन किया जाता है एवं विशिष्ट अतिथियों/ उद्योगपतियों द्वारा विद्यालय की गतिविधियों का आंकलन कर मार्गदर्शन किया जाता है।
पारितोषिक वितरण : प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर सञ पर्यन्त की गतिविधियों जैसे सांस्कृतिक, शैक्षिक खेलकूद व अनुशासन में प्रथम स्थान व द्वितीय स्थान पर प्राप्त करने वाले एवं विद्यालय की कक्षा 6 से 12 में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छाञों को पारितोषिक व प्रमाण-पञ प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
भ्रमण : प्रतिवर्ष छाञों को किसी ऐतिहासिक/तीर्थ स्थल पर ले जाने की व्यवस्था है जिसका उद्देश्य उन स्थलों के अवलोकन द्वारा छाञों के अन्तःकरण में भावनात्मक संस्कार जागृत करना है, वे कक्षा में बैठकर इस प्रकार की भावनात्मक जागृति कदापि हदयंगम नहीं कर सकते।
1992 से आज तक का सफर गौरवमय रहा है। विद्यालय में नित नये आयाम जुङते जा रहे है। शिक्षा की दृष्टि से भी उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने वाला जिले का एक माञ आवासीय उ.मा. विद्यालय है। ग्रामीण परिवेश व अंचल में होते हुये भी विद्यालय को जिले की अग्रिम पंक्ति में खडा होने का सौभाग्य प्राप्त है। जिस नन्हें वट वृक्ष अंचल में होते हुये भी विद्यालय को जिले की अग्रिम पंक्ति में खडा होने का सौभाग्य प्राप्त है। जिस नन्हे वट वृक्ष को ट्रस्टीगणों के सहयोग व सम्बल से लगाया था यह आज विशाल वट वृक्ष के रूप में समर्पित है व अपनी शीतल छाया से सबकों आनन्दित कर रहा है।
विद्यालय को प्रतिवर्ष उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने के कारण उपनिदेशक शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार द्वारा प्रशंसा पञ प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। इस उंचाई तक पहुँचने में श्रीमान ट्रस्टीगणों एवं दान दाताओं का समय - समय पर मार्गदर्शन एवं सम्बल बराबर प्राप्त होता रहा है। छाञों के परिश्रम, शिक्षकों के श्रेष्ठ अध्यापन व अभिभावकों के अटूट विश्वास ने विद्यालय को क्षेञ मिटाने का संकल्प किया है।
छाञों के शारीरिक, शैक्षिक, मानसिक, चारिञिक एवं आध्यात्मिक विकास हेतु उचित शिक्षा प्रदान करना।
व्यवसायिक शिक्षा द्वारा छाञों को आत्म निर्भर बनाने का सतत् प्रयास करना।
सुसंस्कृत, कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार नागरिक तैयार करना।
सत्य, अंहिसा, प्रेम, समता एवं ''जीओं और जीने दो'' के शाश्वत सिद्धान्तों के प्रति आस्थावन बनाना।
शिक्षण योजना : बच्चों कें सर्वागीण विकास हेतु नानेश शिक्षण संस्थान की योजना अनुसार पंचमुखी शिक्षा (शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक एवं व्यावसायिक) तथा उत्तम शिक्षण हेतु पंचपदी शिक्षण पद्घती (आदिति, बोध, अभ्यास, प्रसार एवं प्रवचन) की व्यवस्था की गई है।
योग शिक्षा :- चित प्रवतियों का नियोग ही योग है। ''भारतीय जीवन में योग शिक्षा का महत्तवपूर्ण स्थान है जिसमे आसन, ध्यान, साधना, प्राणायाम व संयम आदि का समावेश किया गया है। प्रतिदिन प्रातः काल 48 मीनट सुयोग्य प्रशिक्षक के सानिध्य में सभी को योग करना अनिवार्य है।
दृश्य एवं श्रव्य सामग्री : शिक्षण कार्य में इनका अपना महत्व है। यहां रंगीन टी.वी., वी.सी.आर., टेपरिकार्डर आदि की व्यवस्था है।
वार्षिक समारोह : प्रतिवर्ष विद्यालय में बडे पैमाने पर वार्षिक समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें छाञों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुन्दर प्रस्तुति मार्चपास्ट, पी.टी. प्रदर्शन किया जाता है एवं विशिष्ट अतिथियों/ उद्योगपतियों द्वारा विद्यालय की गतिविधियों का आंकलन कर मार्गदर्शन किया जाता है।
पारितोषिक वितरण : प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर सञ पर्यन्त की गतिविधियों जैसे सांस्कृतिक, शैक्षिक खेलकूद व अनुशासन में प्रथम स्थान व द्वितीय स्थान पर प्राप्त करने वाले एवं विद्यालय की कक्षा 6 से 12 में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छाञों को पारितोषिक व प्रमाण-पञ प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
भ्रमण : प्रतिवर्ष छाञों को किसी ऐतिहासिक/तीर्थ स्थल पर ले जाने की व्यवस्था है जिसका उद्देश्य उन स्थलों के अवलोकन द्वारा छाञों के अन्तःकरण में भावनात्मक संस्कार जागृत करना है, वे कक्षा में बैठकर इस प्रकार की भावनात्मक जागृति कदापि हदयंगम नहीं कर सकते।
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